कौन है?-
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निर्मोही का चंचल मन सपनों के आसमान में उड़ने लग था। फिसलने वाले समय को काबू करना उसके बस की बात नहीं थी। जबकि अभी भी वह खौफनाक परछाई उसके दिमाग पर दबाव बना रही थी। कितना भयानक सपना था वह। ऐसे ही बंद कमरे में एक शैतान उसके शरीर से अपने नुकीले नाखून से उसकी बोटी-बोटी नोच रहा था। उसके बाद निर्मोही की नींद हराम हो गई थी। दिलों दिमाग पर हावी होने वाला डरावना सपना हकीकत बन कर उसकी जिंदगी बरबाद तो नहीं कर देगा ना? इसी बात से वो काफी डरी हुई थी। मन में हड़कंप मचा गया। निरूपण के हाथों में हाथ डालकर आगे बढ़ते हुए उसके कदमों में कहीं ना कहीं उसी खौफनाक सपने के कारण झिझक छिपी थी। इस दोराही विचारधारा ने कुछ पल के लिए उसकी सोचने-समझने की शक्ति को असमर्थ कर दिया था। अब चाह कर भी वह प्रतिकार नहीं कर सकती थी। रिसेप्शन पर पहुंचते हैं निरूपण ने फोर्थ फ्लोर पर अपना कमरा बुक करवा लिया था। कमरे की चाबी लेकर दोनो लिफ्ट की ओर मुड़ गए। निरूपण के होठों पर नशीली मुस्कान थिरक रही थी। निर्मोही ने एक पल के लिए भी निरूपण का हाथ नहीं छोड़ा। लिफ्ट के अंदर भी उसके हाथों की उंगलियां निर्मोही के भरे भरे बदन पर घूम रही थी। निरूपण के साथ मस्ती का आनंद उठाती हुई वह स्यूट तक पहुंच गई। दरवाजा खोलते ही मोगरे की खुश्बू ने दोनों का स्वागत किया। निर्मोही का साथ उसे मदहोश कर गया था। निर्मोही को उठाकर उसने मखमली बिस्तर पर पटक दिया। बिस्तर पर गुलाब के फूलों की चादर बिछी हुई थी। निर्मोही होटल के स्पेशल रूम का नजारा देखकर चौंधिया गई थी। ऐसा लग रहा था, इस रूम को नवयुगल की पहली सुहागरात के लिए सजाया गया था। बेडशीट पर इतने सारे गुलाब देखकर निर्मोही रोमांचित हो उठी। उसके मन में बार-बार एक ही ख्याल आ रहा था----यह सब निरूपण ने किया होगा? उसको याद आया यह पूरा नजारा तो सपनों में देखा था। निर्मोही के बदन में खौफ की सिहरन दौड़ गई। अपनी बेवकूफाना हरकत के लिए अब उसे पछतावा होने लगा। क्योंकि वह अपनी भावनाओं पर कंट्रोल नहीं कर पाई थी। निर्मोही को अपने आप पर गुस्सा आया। पता नहीं क्यों वह निरूपण को देखकर वह इतना बहक गई थी? हर बार दिल का कहा मानने से भारी मुसीबत में भी पड सकती थी। कभी-कभी दिमाग की बात भी मान लेनी चाहिए। ठीक उसी वक्त वेटर ने डोर बेल बजाई। निर्मोही ने दरवाजा खोला। वेटर के हाथों में ग्लास के दो बाउल जो रेड कलर के प्रवाही से भरे हुये थे। दोनों ग्लास को त्रिपोय पर रख कर वेटर चला गया। निर्मोही लगातार उसी ग्लास को घूर रही थी, जिसमें रेड कलर का प्रवाही मौजूद था। "इसमें एक गिलास तुम्हारा है---फटाफट ले लो।" निरूपण ने आग्रह किया, मगर निर्मोही लाल रंग को देख कर सहमी हुइ थी। उसके मन में जैसे घिन उठी थी।निर्मोही के मन को ताड़ गया हो ऐसे निरूपण बोल उठा। "ग्लास में केवल गुलकन है लहू नहीं है।" इतना कहकर निरूपण ठहाका लगाकर हंसने लगा। डरते डरते उसने गिलास उठाया गिलास को जैसे ही अपने होठों के पास ले आई कि ठीक तभी बिजली गुल हो गई।
अचानक लाइट चली गई तो निर्मोही घबरा गई। उसके हाथों में गुलकंद से भरा गिलास था। जिसे उसने संभाल कर हाथ में पकड़ रखा था। क्योंकि निर्मोही के बदन में कंपकंपी छूट गई थी। दिल जोरो से धड़कने लगा था। गिलास के अंदर से मादक खुशबू निर्मोही के नाक में प्रवेश कर रही थी। अचानक उसे महसूस हुआ जैसे किसी ने उसके हाथ में पकड़े गए गिलास पर होठ रखकर एक घूंट भर लिया। निर्मोही के हाथ में जो कंपन पैदा हुआ वह गिलास में प्रवेश कर गया। "कौन था वह?" निर्मोही के मन में एक सवाल उठा। 'निरूपण इतने करीब आ गया? नहीं नहीं अंधेरे में वह मेरे गिलास में से घूंट नहीं भर सकता। निर्मोही के मन में संदेह हुआ। कोई अनजाना आतंक निर्मोही के अस्तित्व को मिटाने पर तुला था। अंधेरे के पर्दे चीर कर कुछ खौफनाक दृश्य उसकी आँखों के सामने उभर आये। दम घुटने से पहले निर्मोही ने अपनी मोबाइल टॉर्च जलाई। "निरूपण...!" निर्मोही का कंपित स्वर कमरे में गूंजा। कमरे में चुपकिदी छाई थी। निरूपण का कोई आंसर नहीं मिला तो वह घबरा गई। "निरूपण कहाँ गया? अभी तो यही था।" यह सब संकेत शुभ नहीं थे। किसी भयावह अनहोनी के आसार से निर्मोही के रोंगटे खड़े हो गए। दिल को थर्रा देने वाली घटना का माहौल बन रहा था। तभी तो वह सहमी हुई थी। मोबाइल लाइट का प्रकाश से वह कमरे का कोना-कोना देख चुकी थी। अब उसका पूरा रुख मुख्य दरवाजे की ओर था। लेकिन मुख्य दरवाजा बंद था। हाँ, बाथरूम का दरवाजा हल्का सा खुला देखकर उसकी जान में जान आई। हृदय जोर से धड़क उठा। क्योंकि सपने में देखी घटनाओं के क्रम में कोई भी फेरफार नहीं था एक के बाद एक दृश्य उसे झकझोरने को तैयार था। अब आगे जो होने वाला था वही सोच कर निर्मोही का दिल दहल उठा। दिल धाड धाड करके बजने लगा था। निर्मोही पूरी तरह चौकन्नी हो गई थी। अपना मोबाइल हाथ में लेकर उसने व्हाट्सएप पर एक मैसेज टाइप करके परिचित नंबर पर सेंड कर दिया। केवल एक मैसेज ----कॉल नहीं किया उसने। क्योंकि निर्मोही अब किसी भी तरह का जोखिम उठाना नहीं चाहती थी। आखिरी वक्त में अपनी कोशिशें बेकार जाती है तो वह जिंदगी हार जाएगी। मोबाइल को हाथ में रखकर वह आगे बढ़ी। उसका दिल पसलियों से टकराने लगा था। उसे यकीन था कि अब निरूपण का एक हाहाकारी दृश्य बाथरूम में नजर आएगा। खौफ का आतंक उसके दिमाग पर कब्जा कर रहा था। तभी तो उसने आरव को मैसेज किया। बांध को टूटने से पहले पानी रोकना जरूरी था। उसने अगली रात को देखें खौफनाक सपने की हकीकत आरव को बताई थी। जबकि आरव ने डरपोक कह कर उसकी बात को हवा में उड़ा दिया था। लेकिन निर्मोही इतनी जल्द उस बात को छोड़ने वाली नहीं थी। उसने आरव से कहा था। आरव तेरे लिए यह बात मामूली होगी लेकिन मेरे लिए नहीं। "मुझ पर यकीन करके एक बार तुम उस दिशा में सोच कर देखना।" आरव ने कहा था क्या सोचु बोल, "तेरी मूर्खतापूर्ण बातों में अपना दिमाग खराब करू?" आरव कुछ देर के लिए चिढ़ गया था। निर्मोही का स्वच्छंदी स्वभाव बदलने की जद्दोजहद में वह खुद चिड़चिड़ा हो गया था। आरव का ऐसा बर्ताव देखकर निर्मोही कुछ देर के लिए सून हो गई थी। आरव उसके सपने की बात को मामूली कह रहा था, मतलब उसकी बात को नकार रहा था। उसी बात को लेकर निर्मोही को बुरा लगा। आखिरकार निर्मोही के मन की बात को ताड कर आरव बोला। "चलो तुम्हारी बात को आजमाने का नुस्खा मेरे पास है।" कहकर आरव ने निर्मोही की भाववाही आँखों में देखा, "देखते है कौन तुम्हारी खौफ़नाक मौत का तलबगार है।" (क्रमशः)
madhura
27-Sep-2023 10:16 AM
Fabulous part
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Gunjan Kamal
27-Sep-2023 08:45 AM
👏👌
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